मिलिए उस नर्स से जिसने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए कसाब को जेल पहुंचाया और 20 से अधिक गर्भवती महिलाओं की बचाई थी जान

हर किसी की जिंदगी में कुछ घटनायें ऐसी होती है जिसे भुला पाना नामुमकिन होता है। यदि बात मृत्यु के मुख से बच कर निकलना हो तो अवश्य ही वो दिन जीवन की सबसे यादगार और अहम हिस्सा बन जाता है। हम बतायेंगें आपको ऐसी ही महिला के बारे में, जिन्होंने आतंकी हमले में खुद की जान की चिन्ता न करते हुये बहुत से लोग की जान को सुरक्षित किया।

बता दें आपको, उन्होंने 26/11 के हमले में लगभग दर्जनों महिलाओं की जान बचाई तथा इन्हीं के कारण अजमल कसाब जैसे आतंकवादी को फ़ाँसी पे लटकाया था।

आइये बताते हैं उस साहसी महिला के बारे में

आखिर कौन है वो महिला ?

अंजलि कुलथे नाम की महिला, जो मुंबई की मूल निवासी है। अंजलि कुल्थे का नाम 26/11 के मुंबई हमले में अपनी बहादुरी का परिचय देते हुये लोगों को सुरक्षित करने वालों की लिस्ट में मौजूद है। 26/11 के हमले के समय वे कामा हाॅस्पिटल,मुंबई जहाँ वो नर्स के रूप में कार्य करती थी।

क्या है 26/11 में मुंबई की घटना 

वर्ष 2008 में हमारे देश भारत, जिसकी आर्थिक राजधानी नवी मुंबई में आतंकियों के द्वारा हमला हुआ, जो भारत सहित पूरे विश्व को चिन्तित कर दिया। 26 नवम्बर 2008 को आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का दस आतंकी ने शहर मुंबई को गोलीबारी तथा बम धमाके से पूरी तरह दहला दिया। दूसरे प्रकार से देखा जाये तो लगभग 60 घंटे तक पूरी मुंबई आतंकियों की बंधक बन गयी थी।

यह हमला भारत के अतीत का काला धब्बा बन गया जो कभी भुलाया नहीं जा सकता। 26/11 के हमले में मरने वालों की संख्या 160 से भी ज्यादा थी तथा 300 से अधिक लोग घायल हो गये। आज भी इस हमले की पुनरावृत्ति करने से लोगों का दिल दहल जाता है।

मरीजों को सुरक्षा कर चर्चा में रही अंजलि कुल्थे 

मुंबई के हमले के वक्त अंजलि कुल्थे कामा हाॅस्पिटल में नर्स थी। हमले को याद कर वो बताती हैं 26 नवम्बर रात 8 बजे थे तथा उनकी नाइट ड्यूटी जच्चा के वार्ड में थी। तभी उन्हें जानकारी प्राप्त हुई कि सीएसटी स्टेशन में गोलीबारी की जा रही है। उन्होंने बताया लगभग 09:30 बजे गोलीबारी की आवाज हाॅस्पिटल के बाहर सुनाई दे रही थी तब उन्होंने देखा कि सड़क पे दो आतंकी गोली चलाते हुये भाग रहे और कुछ पुलिसकर्मी उनका पीछा कर रही थी। हाॅस्पिटल की चारदीवारी ज्यादा ऊँची नहीं रहने के कारण आतंकी अंदर घुस गये और गोली चलाने लगे।

अंजलि कुल्थे हमले की रात को याद करते हुये कहती हैं वार्ड में बीस गर्भवती महिलायें थी तथा अचानक से हुये गोलीबारी से उन सभी महिलाओं ने रोना शुरू कर दिया। चूँकि इतनी विकट परिस्थिति में भी अंजलि कुल्थे ने हार न माना तथा सभी महिलाओं की जान को सुरक्षित करने का निर्णय लिया। फ़िर उन्होंने उन महिलाओं को पेन्ट्री में शिफ़्त कर दिया, जहाँ एक भी खिड़की न थी। उन्होंने बताया कि इसके वजह से उन महिलाओं को खतरा थोड़ा कम था।

अंजलि जी बताती हैं, घटना के करीब एक महीने पश्चात जब क्राइम ब्रांच के ऑफ़िसर हाॅस्पिटल आते रहे तथा सभी स्टाफ से पूछा गया तो सभी ने यह कह कर इंकार कर दिया कि उनमें से किसी ने भी कसाब को नहीं देखा है। परंतु मैं खुद को चुप नहीं रख सकी, क्योंकि मेरा खुद का जमीर मुझे इसकी इजाजत नहीं दिया कि मैं बाकियों के जैसे इंकार कर दूँ।

जब मैने घरवालों को यह जानकारी दी कि मैने आतंकवादी कसाब को पहचानती हूँ तथा क्राइम ब्रांच वालों को यह बात बताऊंगी तो घरवालों ने हमें बहुत रोका पर मैने किसी की भी बात नहीं सुनी तथा लगभग एक महीने बाद आर्थर रोड के जेल गयी तथा सुपरिंटेंडेंट मैम साठे से मिली।
जब मेरे समक्ष एक जैसे दिखने वाले 5 लोग पेश किये तो मैने इशारा कर के बता दिया कि यही है कसाब। उस समय मुझे बहुत ज्यादा घबराहट हुई परंतु मैडम साठे, जिसने मुझे बहुत हौसला दिया। तब कसाब ने हँसते हुये कहा – “हाँ मैडम मैं कसाब हूँ बिल्कुल ठीक जाना आपने।”

 वकील ने कोर्ट में पूछे कड़े सवाल 

अंजलि कुल्थे ने अदालत में कसाब को पहचान लिया तब उन्हें गवाह के तौर पे हाजिर किया, जहाँ उन्होनें उज्जवल निकम वकील के कड़े सवाल( कसाब को किस प्रकार पहचानती हैं आप) का सामना भी किया। उनके तस्दीक के वजह से कसाब फ़ाँसी के फ़ंदे पर पहुंच पाया।

अंजलि कुल्थे बताती हैं, यह घटना के पश्चात उन्हें एक वर्ष तक उनकी नींद जैसे गायब ही हो गयी थी। जिस कारण उनका साइकाएट्रिस्ट के पास लगभग 1 वर्ष तक इलाज भी चला।

 हमले में 160 से ज्यादा लोगों की मृत्यु 

29 नवम्बर को सुबह तक सभी 9 हमलावरों को मार दिया गया था तथा अजमल कसाब को पुलिस अपनी हिरासत में ले चुकी थी। परिस्थिति नियंत्रित हो गई थी परंतु 3 दिनों में 160 से अधिक लोग अपनी जान गवाँ चुके थे।

 साहस के लिये की जाती याद 

अपने साहसी तथा सफ़ल प्रयासों को लेकर याद आने वाली नर्स अंजलि कुल्थे अभी भी याद आती हैं। जिस प्रकार उन्होंनें बहादुरी से कार्य किया तथा 20 गर्भवती महिलाओं के जान की सुरक्षा की वो सच में तारिफ़ के काबिल है।

Vipul Kumar

मैं एक हिंदी और अंग्रेजी लेखक और फ़्रंट एंड वेब डेवलपर हूं। वंदे मातरम

Recent Posts

Gautam Adani : जानें Top 5th Richest Man अडानी के Net Worth, Property, Airport के बारे में पूरी जानकारी

"सफलता उन्हीं को हासिल होती है जो काम करने का दम रखते हैं " ये…

3 years ago

इस आइलैंड पर बना है दुनिया का सबसे अकेला और खूबसूरत घर, जिसकी करोड़ों की कीमत जानकर हो जाओगे हैरान

आजकल के समय पर प्रॉपर्टी खरीदना और बेचना बहुत ही बेहतरीन कामों में से एक…

3 years ago