क्या किसी शास्त्र में निहीत है हिंदुओ का चोटी रखना, जाने इसके पीछे का वैज्ञानिक कारण और रहस्य

हमारी दुनिया में अलग अलग तरह के लोग रहते हैं। साथ ही सबके धर्म, मान्यताये और परम्पराये काफ़ी अलग होती है। इसी तरह हमारे पुरे भारत देश में हिन्दू धर्म कई लोगो में फैला हुआ है। लेकिन हिन्दू धर्म को अलग अलग जगहों के लोगो में अलग अलग तरीकों से माना जाता है। लेकिन फिर भी सबके एक ही धर्म होने से सबके रीती रिवाजों में काफ़ी समानता है।

लेकिन आज हम हिन्दू धर्म में एक ऐसी परंपरा के बारे में ज़िक्र करने जा रहे है, जोकि हिन्दू धर्म के सभी लोगो में सामान्य मानी है। हम अक्सर देखते है कि जब भी किसी व्यक्ति को गंजा किया जाता है तो उसके सिर पर एक चोटी छोड़ दी जाती है। क्या आप इस तरह गंजा होने पर चोटी छोड़ने का कारण जानते है। और साथ ही लेकिन क्या आप जानते है कि “सुश्रुत संहिता” पुराणिक किताब में गंजा होने पर चोटी रखने की एक वजह है और वह साथ ही एक नियम भी है। चोटी रखने के पीछे एक ऐसा वैज्ञानिक कारण भी है जिस जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे।

जाने चोटी रखने की वजह -:

जैसा कि आप यह जानते ही होंगे कि हिन्दू धर्म में सभी छोटे बच्चो का मुंडन कराने के बाद उसके सिर पर भी एक चोटी छोड़ दी जाती है। लेकिन क्या आप जानते है मनुष्य के सिर के हिस्से पर चोटी रखने वाली जगह को सहस्त्रार चक्र कहा जाता है। ऐसा माना गया है कि मनुष्य के सहस्त्रार चक्र के निचे मनुष्य की पूरी आत्मा का निवास रहता है। साथ ही विज्ञानं का मनना है, कि वहा पर हमारे मंस्तिस्क के बीच का सिरा होता है। जिसमें हमारी मन, बुद्धि के साथ ही शरीर को नियंत्रित करने की छमता होती है।

साथ ही उस सिरे पर चोटी के होने के कारण मानव का मानसिक संतुलन बने रहता है। साथ ही मनुष्य को चक्र को जगाये रखने के लिए और बुद्धि पर नियंत्रण रखने में भी मदद मिलती है। इसके अलावा हिन्दू धर्म में सहस्रार चक्र को गोखुर के बराबर माना जाता है जिस वजह से सिर पर रखे जाने वाली चोटी कों गोखुर के बराबर रखा जाता है।

जाने चोटी रखने के महत्व -:

एक पुराणिक किताब “सुश्रुत संहिता” के माध्यम से बताया गया है कि मनुष्य के सिर के जिस जगह पर भवर होता है। उस जगह सम्पूर्ण नाडिय़ों का मेल जमा होता है और इस जगह का नाम ‘अधिपतिमर्म’ दिया गया है। आपको बता दे कि यदि मनुष्य को उस जगह पर भारी चोट लगती है तो उस समय उस व्यक्ति की तुरंत मौत भी हो सकती है।

आपको बता दे ,कि सिर के इस खास जगह को मस्तुलिंग कहा जाता है। जिसा संबंध हाथ, पैर, इन्द्रिय, गुदा के साथ होता है और साथ ही मस्तिष्क का संबंध नाक, जीभ, ज्ञानेन्द्रियों-कान के साथ आँख के साथ होता है। हमारी मस्तिष्क और मस्तुलिंगं की जितनी छमता हो उतनी ही हमारे ज्ञानेन्द्रियों के साथ हमारे कर्मेन्द्रियों की भी शक्तियां बढ़ जाती है। हमारे मस्तिस्क को ठंड की आवश्यकता होती है। जस वजह से हम क्षौर कर्म करते है और साथ ही गाय के खुर के बराबर की चोटी रखते है।

आज आपने  सिर पर चोटी रखने का महत्व और वजह जाना है और साथ ही अपने यह भी जाना है कि चोटी रखने से मनुष्य को क्या लाभ हो सकते है। हमें उम्मीद है कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। इसीलिए आप इसी तरह की और भी जानकारियां पाने के लिए हमें फॉलो करें और आप हमारे ब्लॉग को शेयर भी कर सकते है।

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Vipul Kumar

मैं एक हिंदी और अंग्रेजी लेखक और फ़्रंट एंड वेब डेवलपर हूं। वंदे मातरम

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