Flying Bike : दिल्ली के इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स का एक ग्रुप बाइक (bike) को इस अनोखे अंदाज में तैयार कर रहा है जिससे नीडेड लोगों को बेहद कम वक्त में हॉस्पिटल तक पहुंचाया जा सके। बाईक को भी पूरी तरह एयर एंबुलेंस लाईटेड बाइक की तरह बनाया जा रहा है और सुरक्षा के एरिया में भी उपयोग करने की एक न्यू थीम्स के साथ बनाये जा रहे है ।दिल्ली मे पढ़ रहे इंजीनियरिंग के स्टूडेंट ने एक एसी अद्भुत बाइक का निर्माण किया है जो कि ट्रैफिक मे होने वाले जाम की प्रॉब्लम से निजाद दिला सकते है।
हवा में उड़ेगी फ्लाईंग बाइक
दक्ष लाकरा अपने साथी सौरभ वेद एवं सिद्धांत शर्मा तीनों मित्रों ने साथ मिलकर ट्रायंफ 675 डेटोनेटर वाले इस सुपरबाइक को हॉवरबाइक प्रोटोटाइप ग्रीप में परिवर्तित कर दिए है। ये फ्लाईंग बाइक (flying bike) हवा में एरोप्लेन की तरह उड़ेगी और पलक झपकाते ही आपको तय किए गए मंजिल तक आसानी से पहुंचा सकती हैं।
इस उड़े जाने वाली बाईक के पीछे छात्र सिद्धान्त शर्मा की अनोखी थीम है। वह यह भी कहते है कि इस बाईक को इस तरीके से डिजाइन किया गया हैं जिससे वे नीडेड लोगों को बेहद कम वक्त में बिना लेट के hospital पहुंचा सके ताकि यह बाईक एक एयर एम्बुलेंस बाइक की तरह लोगों की काम मे सहायक बन सकेगी और उसके साथ-साथ ट्राई ये भी किए जा रहे है कि सुरक्षा एरिया पर भी इस बाईक के उपयोग किये जा सके।
बाईक के प्रोपेलर पर वर्क शुरू
वर्ष 2019 से ही सिद्धांत एवं उसके साथीयों ने इस प्रोजेक्ट पर अपना काम करना स्टार्ट किया था। स्टार्स में, विद्यार्थियों ने एक बेहद बहुमूल्य जेट इंजन की सहायता से स्टार्टिग करने के लिए सोचा। तीनों ने सबसे पहले बाईक के प्रोपेलर पर वर्क शुरू किया। जुलाई महीने के 2020 तक, उनके द्वारा काम स्टार्ट करने के लिये अपनी फर्स्ट बाइक की खरीदी, की थी, जो की कावासाकी निंजा की मॉडल 250 थी और निंजा माँडल के इस बाइक को 32 inch वाले प्रोपेलर की मदद से fit किये गये थे। तीनों दोस्तों को यह बाईक बनाने में तकरीबन 3 सालो का वक्त लगा। सिद्धांत यह भी कहते हैं कि उनकी टीम इस बाइक के सेफ्टी पर भी बेहद खास ध्यान दे रही हैं।
जरूरतमंद लोगों की हो सकेगी अब मदद
दरअसल, इस उड़ने वाली बाइक के पीछे सिद्धांत शर्मा की सोच है। सिद्धांत कहते हैं कि वे इस बाइक को इस तरह से डिजाइन कर रहे जिससे जरूरतमंद लोगों की मदद की जा सके उन्हें वक्त रहते अस्पताल तक पहुंचाया जा सकेगा यानि ये बाइक एक एयर एंबुलेंस के तौर पर लोगों के काम आ सकेगी। साथ-साथ डिफेंस के क्षेत्र में भी इस बाइक का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
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जेब से किए 15 लाख खर्च
आपको बता दें, इस प्रोजेक्ट पर सिद्धांत और उनके दोस्त तीन साल यानि 2019 से काम करते आ रहे हैं। सिद्धांत का यह भी कहना है कि पहले इन्होने एक क़ीमती जेट इंजन के साथ शुरुआत करने के बारे में सोचा था इसके लिए उन्होंने सबसे पहले प्रोपेलर पर ध्यान दिया। सिद्धांत का यह भी कहना हैं उनकी टीम इस बाइक की सुरक्षा पर भी बेहद ध्यान दे रही हैं।
ये बाइक 150 किलो तक के वजन झेल सकती है। इससे लोगों को बहुत फायदा होगा। सिद्धांत, सौरव और दक्ष को मैन्युफैक्चरर इंजीनियरिंग मे डिग्री लिए हुये पूरे एक वर्ष हो चुके है। इन तीनों ने ‘फ्लाइंग बाईक’ को इस स्तर तक पहुंचाने मे अपने जेब से 15 लाख रुपयों से भी ज्यादा का इन्वेस्ट किया है।