पाकिस्तान के जाने-माने स्थान कराची में हनुमान जी का मंदिर एक बार फिर से चर्चा में बना हुआ है। बता दें कि यह मंदिर “पंचमुखी हनुमान” जी का मंदिर है। जब इस मंदिर का जीर्णोद्धार हो रहा था, उस समय कई प्राचीन कलाकृतियों के साथ-साथ यहां कुछ ऐसी मूर्तियां भी पाई गई, जो आश्चर्यचकित कर देने वाली थीं। इन मूर्तियों को देखते हुए बड़े-बड़े विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि इन मूर्तियों से इस बात का आसानी से पता लगाया जा सकता है कि इस मंदिर का निर्माण किस काल में या कब हुआ था।
2 से 3 फीट की ही खुदाई पर प्राप्त हुई मूर्तियां
विशेषज्ञों ने यह भी कहा है कि जब इस मंदिर में खुदाई हो रही थी तब अधिक नहीं केवल 2 से 3 फीट की खुदाई के बाद ही यह मूर्तियां और कलाकृतियां बाहर निकलने लगे। इस मंदिर की खुदाई से यहां हनुमान जी की लगभग 8 से 9 मूर्तियां प्राप्त हुई हैं। भगवान गणेश और शेरावाली मां दुर्गा की मूर्ति भी यहां से मिली है। इसके अलावा कई ऐसी मूर्तियां भी उनमें शामिल हैं जिनका आकार भैंस के समान है। सिर्फ मूर्तियां ही नहीं बल्कि कई मिट्टी के बर्तन भी यहां से मिले हैं।
वनवास के समय मंदिर में आ चुके हैं भगवान राम
जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान में स्थित इस मंदिर का इतिहास लगभग लाखों वर्षों पहले का है यानी कि यह मंदिर बेहद ही पुराना और भव्य मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जब श्री रामचंद्र वनवास में थे, तब वह त्रेता युग में इस मंदिर में आ चुके हैं। वैसे यह भी जानकारी मिली है कि यह मंदिर जो आज पाकिस्तान के कराची में मौजूद है उसकी स्थापना का संपूर्ण ज्ञान तो नहीं है लेकिन यह कहा जाता है कि इसका पुनर्निर्माण 1882 में हुआ था। भारत की आजादी 1947 ईस्वी में हुई थी लेकिन इससे पहले जब भारत और पाकिस्तान एक साथ थे तब इस मंदिर में दूर-दूर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान श्री हनुमान जी के दर्शन करने आते थे।
पूजन के समय लगती है भीड़
पाकिस्तान में मौजूद इस पंचमुखी हनुमान मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि भले ही भारत और पाकिस्तान अलग हो गए लेकिन पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं के मन में आज भी इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है। हालांकि भारत और पाकिस्तान के अलग होने पर भारत से श्रद्धालुओं की संख्या में कमी आ गई लेकिन पाकिस्तान में रह रहे हिंदू आज भी दर्शन के लिए जाते हैं। प्रत्येक सप्ताह मंगलवार और एवं शनिवार के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं की बहुत अधिक भीड़ होती है। इतना ही नहीं ऐसा माना जाता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। यह एक चमत्कारी मंदिर के रूप में भी जाना जाता है।
11 मुट्ठी मिट्टी हटाने पर मिली हनुमान जी की मूर्ति
इस मंदिर के बारे में आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यहां से केवल जमीन से 11 मुट्ठी मिट्टी हटाने पर ही पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति दिखाई पड़ी थी और इसके बाद इस मूर्ति को बाहर निकाला गया था। 8 फीट की लगभग ऊंचाई वाली इस मूर्ति का रंग नीला एवं उजला है। इस मंदिर की यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर के चारो तरफ 108 बार परिक्रमा कर लेता है, उसके सभी कष्टों का निवारण हो जाता है और पंचमुखी हनुमान जी उनकी सभी इच्छाएं भी पूर्ण करते हैं।
सपने में तपस्वी को देने आए थे दर्शन
काफी पुराने समय की एक किवदंती के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जिस स्थान पर यह मंदिर आज बना हुआ है, वहां पहले एक तपस्वी श्री हनुमान जी की साधना करते थे। उनके सपने में हनुमान जी ने दर्शन दिया और कहा कि इसी जमीन के नीचे पाताल लोक में वह निवास कर रहे हैं। हनुमान जी ने तपस्वी महाराज से अपनी पंचमुखी रूप को पाताल लोक से निकाल कर उस स्थान पर स्थापित करने की आज्ञा दी थी। इसके बाद ही यहां इस मंदिर का निर्माण हुआ।