हम सभी जानते हैं कि यदि कोई व्यक्ति एक दो रात तक ना सोए तो वह अगले दिन पागलों की तरह करने लगता है लेकिन दुनिया में एक ऐसी महिला भी हैं जो करीब 4 सालों से नहीं सोई है। मीडिया के अनुसार पोलैंड देश की रहने वाली मालगोरज़ाटा स्लिविंस्का 39 वर्ष की एक महिला है जो कई रातों से नहीं सोई है जिसकी वजह से उनका हाल काफी बुरा हो गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि उस महिला को सोमनीफोबिया नामक एक दुर्लभ विकार है।
मालगोरज़ाटा ने अपनी इस बीमारी के लिए कई डॉक्टरों से सलाह ली लेकिन हर बार उनकी कोशिश नाकामयाब ही रहती थी। उन्होंने अपनी इस दुर्लभ बीमारी के इलाज में लाखों रुपए खर्च कर दिया लेकिन फिर भी उन्हें 4 सालों तक नींद नहीं आई।

मालगोरज़ाटा अपनी इस बीमारी के बारे में बताती हैं कि नींद ना आने के कारण उन्हें अक्सर सिर दर्द की शिकायत रहती थी और आंखों में शुष्क होने के साथ-साथ जलन भी होती थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी शॉर्ट टर्म मेमोरी चली गई और बिना वजह उनकी आंखों से आंसू आते थे।
ना सोने के कारण उनकी जिंदगी बर्बादी की ओर बढ़ने लगी
39 साल की मालगोरज़ाटा ने अपनी बीमारी के बारे में बताते हुए कहा कि इस सोमनीफोबिया बीमारी के कारण उनके शरीर में काफी कमजोरी आ गई थी जिसके कारण उन्हें ऑफिस से एक लंबी छुट्टी की जरूरत पड़ गई। इस लंबी छुट्टी के कारण उन्हें अपनी नौकरी भी छोड़नी पड़ी और साथ ही जमा किए हुए सारे पैसे उनके इलाज में खर्च हो गए। इस बीमारी की वजह से उनका अपने पति और बेटे के साथ भी संबंध काफी बिगड़ रहा था।
बीमारी की शुरुआत कब हुई

स्लिविंस्का के मुताबिक साल 2017 के सितंबर महीने में उनका परिवार स्पेन में छुट्टियां मनाने गया था और वहां से लौटने के बाद उन्हें 1 रात जरा भी नींद नहीं आई। उस समय को याद करते हुए मालगोरज़ाटा कहती हैं कि वह बिस्तर पर लेटकर केवल करवटें बदल रही थी लेकिन उस दिन उन्हें जरा भी नींद नहीं आई। उन्होंने बताया कि सुबह होने के बाद वह फ्रेश होकर अपने काम पर निकल गई लेकिन नींद ना आना उनका रोज का नियम बन गया।
उन्होंने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि उन्होंने हर वह संभव कोशिश की जिससे उन्हें नींद आ सके। उन्होंने संगीत से लेकर मालिश और एक्यूपंक्चर की भी कोशिश की थी लेकिन उसका कोई फायदा नजर नहीं आया। उन्होंने बताया कि करीब 2 हफ्तों तक उन्हें नींद नहीं आई थी जिसके बाद यह बीमारी उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गई
इलाज करवाने के बाद उनकी हालत में क्या सुधार आया

मालगोरज़ाटा बताती हैं कि उन्होंने नींद आने के लिए नींद की गोलियां भी ली थी लेकिन उनके स्वास्थ्य पर काफी बुरा असर होने लगा। इसके बाद उन्होंने साल 2018 और 2019 में 6 महीने का दो मनोवैज्ञानिक उपचार की भी मदद ली। नींद की उस गोली से मालगोरज़ाटा को नशे की आदत होने लगी थी जिसके बाद उन्होंने उस दवाई को लेना छोड़ दिया। मालगोरज़ाटा बताती हैं कि साल 2018 के अगस्त महीने में वह करीब 3 हफ्तों तक नहीं सोई थी।
मनोचिकित्सक की मदद से कराया खुद का इलाज
किसी मनोचिकित्सक की मदद से उन्हें एक निजी उपचार मिला और दवाइयों की मदद से वह कुछ दिनों के लिए सो सकीं। यह इलाज करीब 2 सालों के लिए हुआ जिसमें उन्हें लाखों रुपए के साथ-साथ बचत के सभी पैसे भी खर्च करने पड़े। उन्होंने कई चिकित्सकों और दवाइयों की मदद भी ली।
नए साल में अपनी बीमारी के इलाज में सफलता मिल गई

मालगोरज़ाटा ने अपने इलाज के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि पोलैंड के किसी विशेषज्ञ से उन्होंने ज़ूम कॉल पर अपनी इस बीमारी के बारे में जिक्र किया और उन्हें इस सोमनोफोबिया बीमारी के बारे में पता चला। उस विशेषज्ञ द्वारा दी गई दवाइयों की मदद से अब वह 2-3 रातों में सो सकती हैं। इसके साथ ही वह ध्यान और योग के साथ हर रोज हजारों कदम चलकर अपनी चिंता कम करने की कोशिश भी करती हैं। उन्होंने कुछ समय पहले ही एक पार्ट टाइम नौकरी की शुरुआत भी की है। अपनी इस बीमारी के बारे में बताते हुए स्लिविंस्का ने कहा कि नींद से जुड़ी विकारों और बीमारियों पर एक सख्त शोध की आवश्यकता है।