“रतन टाटा” जी ने पिछले बृहस्पतिवार के दिन कहा कि असम के इतिहास में यह पहली बार होगा जब स्वास्थ्य को लेकर एक नई व्यवस्था आएगी। दरअसल असम में अन्य राज्यों की तुलना में कैंसर पीड़ितों की संख्या काफी अधिक है। कैंसर के प्रमुख कारण यहां धूंए से भरे आंच पर तैयार किए गए मांस के अलावा सुपारी और तंबाकू का प्रयोग करना भी है इसी कारण असम में कैंसर की बीमारी बढ़ती जा रही है, जिसका रोका जाना बेहद आवश्यक है।
कैंसर के उपचार के लिए उच्चतर स्तर की स्वास्थ्य के देखभाल की सुविधा मिलने वाली है। दरअसल बता दें कि इस बार असम में 17 ऐसे कैंसर देखभाल केंद्रों की नेटवर्क गठित की जाएगी, जहां काफी कम खर्च पर बहुत अच्छे उपचार उपलब्ध करवाए जाएंगे।
बृहस्पतिवार को हुए सात केंद्रों के उद्घाटन के समय रतन टाटा ने यह कहा कि इन संस्थानों की स्थापना के बाद असम का नाम उन राज्यों में शामिल होगा, जो उन राज्यों की श्रेणी में आते हैं, जिन्हें विश्वस्तरीय उपचार उपलब्ध करवाई जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि यह सुविधा मौजूदा समय में अन्य राज्यों में उपलब्ध नहीं थे लेकिन अब टाटा ट्रस्ट द्वारा ये सुविधाएं यहां लाई जा रही हैं।
रतन टाटा ने इस उद्घाटन के समय यह भी कहा कि असम के इतिहास में इस दिन का महत्व बहुत अधिक रहेगा क्योंकि जो सुविधाएं यहां अब तक उपलब्ध नहीं थीं, वे सुविधाएं अब उपलब्ध करवाई जाएंगी। रतन टाटा द्वारा यह भी कहा गया कि भारत के इस छोटे से राज्य असम में विश्व स्तरीय कैंसर संबंधित उपचारों और सुविधाओं के उपलब्ध होने पर यह इसके लिए गर्व करने वाली बात होगी।
यहां तक कि प्रधानमंत्री “नरेंद्र मोदी” ने भी सात केंद्रों के उद्घाटन में अपनी भागीदारी निभाई। इतना ही नहीं इसके अलावा उन्होंने सात अन्य कैंसर देखभाल केंद्रों के आधारशिला रखे। जानकारी के लिए बता दें कि इन कैंसर देखभाल केंद्रों की डेवलपमेंट मुख्य रूप से स्टेट गवर्मेंट और टाटा ट्रस्ट के एक साथ से ही संभव हो पाया है। इसके अलावा “Assam Cancer Care Foundation” की मदद से यह कार्य सफल हो पाएगा।
मिली जानकारी के मुताबिक यह भी कहा गया है कि इस नेटवर्क के जरिए तीन और अस्पताल खोले जाएंगे, जो साल 2022 में ही पूरे हो जाएंगे। इस परियोजना को 2018 में ही लागू किया जा रहा था यानी कि इसकी आधारशिला 2018 के जून महीने में ही तैयार की गई थी।
रतन टाटा जी ने कैंसर हॉस्पिटल के उद्घाटन के दौरान बहुत ही इमोशनल स्पीच दिया। यहां तक कि उन्होंने इस बात के लिए जनता से माफी मांगी कि उन्होंने भाषण हिंदी में ना देकर अंग्रेजी में दिया। बता दें, कि वह काफी रुक रुक कर अपनी स्पीच दे पा रहे थे।